September 18, 2023

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हाईकोर्ट के आदेश को समझने में निगम अक्षम : आयुक्त के खिलाफ अवमानना का केस दायर

निगम के अधिकारी और लिपिक जानबूझ करते है गुमराह



दुर्ग । सोनम कौर। माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा दायर याचिका 1285/2014 के तहत 11 मई 2023 को अपना फैसला सुनाते हुए यह आदेश जारी किया था की याचिका करता अनिल मनहरे को 4 जून 2001 से सहा.ग्रेड 3 पद का आदेश 45 दिन के अंदर जारी करें । तथा दैनिक और नियमित सेवा अवधि की अंतर राशि का 40% राशि का भुगतान 3 माह के अंदर कर हाईकोर्ट को अवगत कराया जावे ।  

         परंतु नगर निगम दुर्ग के आयुक्त लोकेश चंद्राकर ने हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुये याचिकाकर्ता अनिल मनहरे को न ही पद का आदेश जारी किया और न ही अंतर राशि का भुगतान किया । माननीय न्यायधीश महोदय के आदेश और न्यायालय नियमानुसार अनिल मनहरे को पुन: हाईकोर्ट बिलासपुर में अवमानना का केस दायर करना पड़ा है । जिसका टोकन नंबर CGHCO 10313572023 तथा फाईल नंबर 18176/2023 है ।  

         लगता है नगर पालिक निगम दुर्ग में अयोग्य अधिकारी, और कर्मचारी काम कर रहे हैं । तभी तो हाईकोर्ट के आदेश को गंभीरता से नही लिया गया । ऊपर से अनिल मनहरे को पम्प अटेण्डेंट पद के नाम से पत्र जारी कर दिया गया । उनके सेवापुस्तिका, सेवा प्रमाण पत्र के अलावा पेंशन प्रकरण भी पम्प अटेण्डेंट पद अंकित कर तैयार कर दिया गया है । 

           प्रकरण के संबंध में अनिल मनहरे याचिकर्ता ने बताया कि हाई कोर्ट बिलासपुर के आदेश के पालन में 26 मई 2023 को नगर निगम दुर्ग में आदेश की प्रति देकर आयुक्त को अवगत कराया गया। आदेश के पालन में 45 दिन में आदेश जारी नहीं करने के संबंध में भी पुन: अवगत कराया गया । स्थापना विभाग द्वारा त्रुटि पूर्ण आदेश जारी कर दी गई । इसकी भी जानकारी से आयुक्त महोदय को अवगत कराया गया । पश्चात तीन माह पूरा होने के बाद 14 अगस्त 2023 को हाई कोर्ट बिलासपुर के आदेश अनुसार अंतर राशि का भुगतान नहीं किए जाने की जानकारी आयुक्त महोदय को दी गई। जिस पर निगम के लेखाशाखा से विद्वान लेखा प्रभारी राजकमल बोरकर के काउंटर साइन और आयुक्त महोदय के हस्ताक्षर से अंतर राशि की एक किस्त देने और शेष राशि निगम की वित्तीय स्थिति ठीक होने पर देने का पत्र अनिल मनहरे को दिया गया । जो बिलासपुर हाई कोर्ट के माननीय जस्टिस महोदय की आदेश की अवहेलना है । 

         मजे की बात है कि माननीय हाई कोर्ट बिलासपुर के आदेश को नगर निगम दुर्ग के आयुक्त, निगम वकील, स्थापना लिपिक और ना ही निगम के महान प्रभारी राजकमल बोरकर लेखाअधिकारी भी नहीं समझ पाए और उल्टे याचिकाकर्ता अनिल मनहरे को पत्र देकर सूचित किया गया है कि नगर निगम दुर्ग की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है इसलिए प्रथम किस्त के रूप में एक लाख रुपए का भुगतान किया जा रहा है शेष राशि का भुगतान वित्तीय स्थिति ठीक होने पर दी जाएगी । जिसमें कोई टाईम लिमिट नहीं दी गई है ।  

            उल्लेखनीय की नगर पालिका निगम दुर्ग के कर्मचारी अनिल मनहरे वर्ष 1989 से नगर निगम दुर्ग में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे वहीं निगम कर्मचारी संतोष मिश्रा वर्ष 1990 से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे । नगर निगम दुर्ग ने वर्ष 2001 में निगम अधिनियमों को तथा शासन के आदेशों को तक में रखकर संतोष मिश्रा कर्मचारी को मेयर इन काउंसिल के निर्णय को आदेश मानते हुए 2001 में संतोष मिश्रा का निमिकीकरण कर दिया । इस संबंध में वरिष्ठ कर्मचारी अनिल मनहरे के द्वारा आपत्ति दर्ज की गई परंतु नगर नियम दुर्ग ने कोई सुनवाई नहीं की । और अनिल मनहरे को वर्ष 2008 में पंप अटेंडेंट के पद पर निमित्तिकरण किया गया । इस पर भी अनिल मनहरे के द्वारा अपने पद को लेकर आपत्ति दर्ज किया गया। परंतु नगर निगम दुर्ग के उच्च अधिकारी इस पर कोई कार्यवाही नहीं की । 

        जिसके कारण अनिल मनहरे ने वर्ष 2014 में हाई कोर्ट बिलासपुर में 2001 से सहा.ग्रेड 3 पद पर नियमितिकर करने और सभी लाभ प्रदान करने याचिका दायर की गई थी । 9 --10 वर्ष बाद विद्वान न्यायाधीश माननीय नरेंद्र व्यास द्वारा 11 मई 2023 को आदेश जारी कर अनिल मनहरे को सहायक ग्रेड तीन पद का आदेश और अंतर राशि का भुगतान 3 माह के अंदर करने कहा गया । हाई कोर्ट बिलासपुर के द्वारा 45 दिन में आदेश जारी करने और 3 माह के अंदर अंतर राशि भुगतान करने का आदेश का समय गुजर जाने के बाद भी कार्यवाही नहीं की गई । जिसके कारण अनिल मनहरे को हाई कोर्ट बिलासपुर में निगम आयुक्त लोकेश चंद्राकर के खिलाफ अवमानना का केस दायर करना पड़ा । ।




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