"ईडी,आइटी और सीबीआइ की चाकू से विपक्ष की आर्थिक पाइप लाइन को चुनाव से पहले मोदी ने काटने का इंतजाम किया है। ताकि 350 से ज्यादा के लक्ष्य के तहत मुश्किल वाली 160 सीट में भी भगवा छतरी तन सके।"
नई दिल्ली।रमेश कुमार ‘रिपु’ । बीजेपी के लिए 2024 का चुनाव जीतना ज्यादा महत्वपूर्ण है। ताकि वह इंदिरा गांधी के दस साल तक पी.एम.रहने का रिकार्ड तोड़ सके। इसके लिए मोदी सरकार ने ईडी,आइटी और सीबीआइ की चाकू से विपक्ष की आर्थिक पाइप लाइन को चुनाव से पहले काटना शुरू कर दिया है। ताकि 350 से ज्यादा के लक्ष्य के तहत मुश्किल वाली 160 सीट में भी भगवा छतरी तन सके। वैसे नौ राज्यों का चुनाव भाजपा के लिए 2024 के आम चुनाव का सेमीफाइनल है। दूसरी और कांग्रेस के लिए खुद को पुर्नजीवित करने का आखिरी मौका। लेकिन बीजेपी ने चुनाव से पहले जो रणनीति बनाई है,उसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। छत्तीसगढ़ में छठवीं बार ई.डी ने छापा मारा है। विपक्ष को जहांँ से आर्थिक हेमोग्लोबिन मिल रहा है,उस नस को ई.डी,आइ.टी. और सी.बी.आइ. के ब्लेड से सत्ता पक्ष काट देना चाहता है। ताकि विपक्ष आर्थिक रूप से विकलांग हो जाए। यह बात छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई से स्पष्ट है।
छठवीं बार ई.डी.- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब-जब दूसरे राज्य का चुनावी प्रभारी बने,ईडी ने छापा मारा। झारखंड,असम,उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड या फिर हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाए गए थे,तब भी ईडी ने राज्य में छापा मारा। अब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 24 फरवरी से कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन होने जा रहा है। उससे पहले ई.डी ने छापा मारा। वैसे कांग्रेस के लिए भूपेश बघेल एटीएम हैं। इसलिए सत्ता पक्ष के लिए किरकिरी बने हुए हैं। चूंकि राजनीति पैसे से चलती है। पैसे पर पलती है। ऐसे में कांग्रेस की राजनीति को तोड़ने के लिए पैसे की आवाजाही रोकना जरूरी है। या फिर ईडी,आइटी और सीबीआइ का इतना दबाव बनाओ,कि दीगर पार्टी के लोग बीजेपी में शामिल हो जाएं। प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी सिंह,विनोद तिवारी,कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल,खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन और भिलाई विधायक देवेंद्र यादव के घर पर छापा मारा। निखिल चंद्राकर कारोबारी सूर्यकांत तिवारी का कर्मचारी है। इनके पास से डायरियां बरामद हुई हैं। जिसमें लेनदेन का ब्यौरा है।
लेव्ही घोटाला - यह माना जा रहा है कि पांच करोड़ की उगाही की गई है,जो कि लेव्ही घोटाला है। उसकी पूछताछ के लिए ई.डी.ने छापा मारा है। हर टन कोयले पर पच्चीस रुपए वसूला जाता है। वैसे ईडी ने कइयों को गिरफ्तार किया है। सौम्या चैरसिया जो कि सुपर सीएम कही जाती हैं,वो इस वक्त जेल में है। ईडी ने छत्तीसगढ़ में हुए 540 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार में 277 करोड़ रुपए का लिखित हिसाब दिया है। वहीं कांग्रेस का कहना है,कांग्रेस अधिवेशन को डिस्टर्ब करने की ये साजिश है।
ई.डी,आइ.टी.चुप्प-मोदी की लोकप्रियता की राह में देश की चरमराती आर्थिक व्यवस्था,बड़ती महंगाई और बेरोजगारी रोड़े बन सकते है। वहीं मोदी के सियासी कामयाबी की बात करें तो 2018 और 2021 के बीच हुए 23 राज्यों के चुनाव में भाजपा केवल त्रिपुरा में सीधे चुनाव जीती। सन् 2022 के चुनाव में वह गुजरात,उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चुनाव जीती। बाकी अन्य राज्यों में वह गठबंधन की राजनीति की। लेकिन हिमाचल में हार गई। दिल्ली के एमसीडी चुनाव में भी बीजेपी दूसरे नम्बर पर थी। बीजेपी 2023 में होने वाले हर चुनाव को जीतना चाहती है। मोदी सरकार विपक्षी एकता की रस्सी को ईडी,आइटी और सीबीआइ के चाकू से काट देना चाहती है। मगर, उसकी राह में रोड़े भी हैं। जो कंटक बन सकते हैं। बीजेपी चाहती है कि विपक्ष 2024 में रहे,लेकिन ताकतवर न रहे। और जो विपक्षी पार्टी ताकतवर बनने की कोशिश करें उनके पीछे ई.डी.,आइ.टी,और सीबीआइ लगा दो। अडानी मामले में देश का ध्यान बांटने सत्ता पक्ष ने पूरी ताकत लगा दी। एक ही दिन में आम लोगों का शेयर बाजार में दस लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो गया। कारपोरेट का पैसा किस-किस मद में लगा है,किस-किस राजनीतिक पार्टी को पैसा मनीलाॅड्रिग के तहत कितना दिया गया,इसका खुलासा न हो जाए,इसके लिए न आइटी और न ही ईडी हरकत में आई। अडानी कांड ने यह बता दिया कि कैसे कारपोरेट काम करता है। उनके लिए नियम कायदे बदल दिए गए। लेकिन सदन में राहुल ने अडानी के मामले में जो भी पूछा उन सवालों का जवाब पी.एम. ने नहीं दिया। बल्कि संसद की कार्यवाही से उनकी बातों को हटा दिया गया।
महाराष्ट्र में विपक्ष की आर्थिक पाइप लाइन को पहले शिंदे के जरिए कट किया गया। फिर शिवसेना बागी के हवाले कर दिया गया। अब चुनाव आयोग ने शिवसेना का दफ्तर और सिंबल सब कुछ बागी के हवाले कर दिया। एनसीपी,कांग्रेस 2014 और 2019 में शिवसेना और बीजेपी गठबंधन के आगे नहीं टिक पाए। उद्धव के सामने कई विकट समस्या है। क्यों कि सामने बीएमसी का चुनाव है। मगर,सुप्रीम कोर्ट अभी सुनवाई कोे तैयार नहीं है।
नोटिस की फ़ास - मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले वो सारे विपक्षी जिनसे बीजेपी को नुकसान हो सकता है,उन सभी के गले में ईडी,आइ.टी और सीबीआइ का सांप डाल देना चाहती है। जैसा कि पश्चिम बंगाल में ई.डी. ने 27 राजनीतिक लोगों को नोटिस दिया है। आइटी ने 715 और सीबीआइ ने 115 लोगों को। केरल में 51 लोगो को ई.डी की नोटिस मिली है। 290 आइटी और 48 सीबीआइ के रडार में है।महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस को मिलाकर 15 लोगों को ईडी की नोटिस दी गई है। 415 आइटी और 98 लोग सीबीआइ के निशाने पर हैं। छत्तीसगढ़ में 17 राजनीतिक लोगों को ईडी की नोटिस। आइटी की नोटिस 392 राजनीतिक लोगों को और 62 सीबीआइ के रडार पर हैं।तेलंगाना राज्य जिस पर केन्द्र सरकार की नजर है। यहां ईडी की नोटिस 19 राजनीतिक लोगों को,944 आई.टी और सीबीआइ के रडार पर 69 लोग हैं। पंजाब में 27 लोगों को ईडी,908 को आइटी और 51 लोगों को सीबीआइ की नोटिस दी गई है। उत्तर प्रदेश में 17 राजनीतिक लोगों को ईडी,490 को आइटी और 37 लोगों को सीबीआई की नोटिस दी गई है। राजस्थान में 16 लोगों को ई.डी जिसमें गहलोत के भाई भी शामिल है,1112 लोगों को आइटी और 86 लोगों को सीबीआई की नोटिस दी गई है। बात यहीं खत्म नहीं हो जाती। बिहार में आरजेडी जब तक नीतिश के साथ हैं,तब तक ईडी की फाइल तेजस्वी के खिलाफ नहीं खुलेगी। और सीबीआइ की फाइल लालू के खिलाफ नहीं खुलेगी। देश की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो गई है। महंगाई चरम पर है और बेरोजगारी से लोग परेशान है। लेकिन विपक्ष इसकी बात न संसद में और न मीडिया में कर सके,इसलिए ईडी,सीबीआइ और आइटी के जरिए सत्ता पक्ष 2024 के चुनाव को प्रभावित करना चाहती है।