रीवा। समशेर सिंह गहरवार। नगर परिषद मनगवा भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया था ऐसा लगने लगा था की सरकारी फंड व्यक्तिगत विकास के लिए आता है ना की जनता के लिए। सरकार की बहुत सारी योजनाओं का दुरुपयोग कर पार्षद ,अध्यक्ष और उपाध्यक्ष लगातार भ्रष्टाचार कर रहे थे। इन तमाम भ्रष्टाचार पर विराम लगाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया है। कलेक्टर रीवा अतिशीघ्र कार्यवाही कर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करें। आदेश जारी कर माननीय उच्च न्यायालय ने रिपोर्ट कलेक्टर रीवा की ओर भेजा है। यह शिकायत पहले मनगवां क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी महेंद्र तिवारी ने कलेक्टर रीवा कमिश्नर रीवा एवं संयुक्त संचालक नगरी विकास आवास विभाग सहित वरिष्ठ कार्यालय पालिका भवन संचालनालय नगरी निकाय वल्लभ भवन भोपाल में भी शिकायत की थी । जिस पर शिकायतकर्ता की शिकायत पर कलेक्टर रीवा ने टीम बनाकर जांच कराई।
जांच रिपोर्ट प्रस्तुत होने के उपरांत भी नगर परिषद मनगवा के भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की गई। भ्रष्टाचार करने वाले जिम्मेदार पार्षद अध्यक्ष एवं कर्मचारी मनमानी पर उतारू थे। जिससे परेशान व व्यथित होकर सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र तिवारी ने माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी। जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने शीघ्र सुनवाई करते हुए कलेक्टर रीवा को आदेशित किया कि इस मामले में अति शीघ्र संज्ञान लेकर के कार्यवाही करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करें। हाईकोर्ट में इस मामले की पैरवी अधिवक्ता बृजेन्द्र सिंह द्वारा की गई।
क्षेत्रीय विकास की बजाय जुटे रहे अपने विकास में
नगर परिषद मनगवा में 2022 के चुनाव के उपरांत जनता ने जिन्हें अपना प्रतिनिधि बनाकर नगर परिषद मनगवा में भेजा की क्षेत्र का विकास होगा । वह सभी जनप्रतिनिधि जनता के विकास की बात तो दूर खुद का विकास करने में मस्त हो गए। कोई अपने घर में सड़क बनवा रहा है। तो कोई अपने घर में हैंडपंप खुदवा रहा है। तो कोई अपने घर में मैरिज गार्डन बनवा रहा है। कोई अपने लड़के को नौकरी पर रख रहा है। कोई अपने भतीजे को नौकरी में रख रहा है। जितनी तरह के लाभ हो सकते हैं ,सभी पार्षद मिलकर नगर परिषद मनगवा को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया । कहावत हो गई कि जितना लूट सको तो लूट मिली है भारी छूट । पर इस कहावत पर लगाम लगाने के लिए शिकायतकर्ता महेंद्र तिवारी ने वरिष्ठ अधिकारियों की जांच रिपोर्ट पर कार्यवाही न किए जाने से आहत होकर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर पर याचिका दायर की। और माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने सुनवाई करते हुए कलेक्टर रीवा को निर्देशित किया है कि अतिशीघ्र जिम्मेदारों पर कार्यवाही की जाए ।
फर्जी एनओसी पर सीएमओ पर हो सकती है कार्यवाही
अंधेर नगरी चौपट राजा टका शेर भाजी टके शेर खाझा वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है। जिस वरिष्ठ नेता के संरक्षण में नगर परिषद मनगवा में लूट मचाई गई । फर्जी एनओसी प्राप्त करके चुनाव लड़ा गया। चुनाव जीतने के उपरांत पर्याप्त भ्रष्टाचार किया गया । ऐसे मामलों में अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी थी। आखिर जिस नेता का संरक्षण प्राप्त हो रहा था। क्या वह नेता फिर से कलेक्टर रीवा पर दबाव बनाकर कार्यवाही को रोकने के लिए अपनी क्षमता का प्रयोग करेंगे ? देखना होगा कि कार्यवाही होगी या फिर से खानापूर्ति रहेगी। क्योंकि जिस तरीके से दबाव बनाकर फर्जी एनओसी प्राप्त कर चुनाव लड़ा गया। जिनके ऊपर लोकायुक्त प्रकरण 162 / 2017 का मामला चल रहा था। 2022 के आम निर्वाचन में इस प्रकरण को छुपाते हुए कि हमारे ऊपर कोई मामला नहीं है । जिस नगर परिषद में हम उपाध्यक्ष रहे। वहीं पर हमारे ऊपर लोकायुक्त का मामला चल रहा था। लोकायुक्त का मामला मार्च 2024 में खत्म हुआ है जबकि चुनाव 2022 में ही लड़ा गया था। ऐसी स्थिति में साक्ष्य को छुपा कर चुनाव लड़ना गंभीर अपराध माना जाता है देखना होगा कि जांच अधिकारी इसमें किस तरह की भूमिका अदा करते हैं। सही या ग़लत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं और अगर गलत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत हुई तो माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जाना आवश्यक हो जाएगा।