रीवा। समशेर सिंह गहरवार। जिला कोषालय अधिकारी पुष्पेंद्र शुक्ला के लेन-देन शौक ने सेवानिवृत कर्मचारियों को परेशानियों में डाल रखा है। सुना गया है कि सेवानिवृत कर्मचारियों को अपनी जमा पूंजी पाने के लिए ही जिला कोषालय कार्यालय के चक्कर पर चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसके बाद भी जिला कौषालय अधिकारी की कलम देयक फाइलों में नहीं चल पा रही है । पता चला है कि कार्यालय में अगर किसी विभाग के कर्मचारी अपने देयक के लिए उनसे मिलने जाए तो अपने कार्यालय में एक रजिस्टर में नाम पता और फोन नंबर एंट्री करवाते हैं। कर्मचारियों को धमकाते तक हैं कि आए दिन कार्यालय में विवाद की स्थिति निर्मित होती है। वहीं सभी विभागों के देयकों में आपत्ति लगाना शुक्ल का पेसा बन चुका है।
एक ही बिल को कई बार आपत्ती लगाकर वापस करना संबंधितों को परेशान करना उनकी दिनचर्या में शामिल हो चुका है ताकि मजबूरन रुपया दे सके। जब बाबू के माध्यम से जब रूपया जिला कोषालय अधिकारी को मिल जाता है तो देरी न करते हुए बिना नियम के ही जल्दबाजी में देयकों को पास कर देते हैं । इस बात को लेकर कर्मचारी संगठन में भारी आक्रोश है । सुना गया है कि शिक्षा विभाग,स्वास्थ्य, पुलिस, संविदाकार सभी के बिलों में आपत्ति लगते हैं । इनसे डायरेक्ट कोई अगर मिलता भी है तो यह धमकी भी देते हैं।
एक ही बिल 8 से 10 बार लगने पर भी बिल पास नहीं करते। इनकी आदतों में देयकों पर आपत्ति लगाना है जैसे कर्मचारियों के पेंशन ग्रेच्युटी का मामला देखते हैं। बड़े बिलों में खास तौर पर इनके द्वारा आपत्ति लगाई जाती है। राशि के अनुसार लाखो से ₹50000 तक की मांग करते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि पूरे सेवा काल में आज तक ऐसा जिला कोषालय अधिकारी नहीं देखा। शीघ्र ही कर्मचारी संगठन इनके लिए लाम बंद होने वाले हैं । संयुक्त कर्मचारी संगठनो की एक बैठक विवेकानंद पार्क में संपन्न हुई । साथ ही कर्मचारियों अधिकारियों ने मुख्यमंत्री संभागीय कमिश्नर कलेक्टर को शिकायत करने का निर्णय लिया गया।
स्टांप पेपरों की शुरू है कालाबाजारी पता चला है कि
इन दिनों 10, 20 ,50 व100 rupaye ke स्टांप पेपरो का बाजार में अकाल पड़ा है। कुछ गिने चुने स्टांप बेंडरों के पास ही पेपर उपलब्ध है। जिन्हें वह बेखौफ होकर 10 गुना कीमतों में जरूरतमंदों को उपलब्ध करा रहे हैं। ऐसे हालात भी जिला कोषालय अधिकारी की उदासीनता के चलते बने हैं। वजह है कि यहीं पर कार्यरत लिपिक द्वारा कम कीमतों के स्टांप पेपरो का आवंटन थोक में थोक स्टांप बेंडरों को कर अकाल की स्थिति निर्मित की गई है। ताकि छोटे-मोटे कार्यों के लिए जरूरतमंदों को 10 गुनी कीमत चुकाकर मिल सके। उल्लेखनीय है कि छोटे-मोटे कार्यों के लिए जरूरतमंदों को 10 20 50 वास ₹100 स्टांप पेपरो की ज्यादा जरूरत पड़ती है लेकिन जिला कोषालय अधिकारी की उदासीनता से थोक विक्रेताओं द्वारा इनकी भी कालाबाजारी शुरू कर दी गई है। जबकि ऐसे व्यवसाय कलेक्ट कार्यालय के इर्द-गिर्द ही हो रहे हैं जिसकी भनक भी बड़े अधिकारियों को नहीं लग पा रही है। ऐसी उत्पन्न स्थिति के चलते लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही है।