मणिपुर में हिंसा के बीच जनजातीय समूह के नेताओं ने इंफाल घाटी के विद्रोहियों पर उनके समुदाय के गांवों पर हमला करने का आरोप लगाया। जनजातीय नेताओं ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम-आईटीएलएफ ने कहा कि मणिपुर पुलिस के भेष में घाटी के भूमिगत कैडर ने उन पर हमला किया।
इंफाल । न्यूज डेस्क । मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा के बीच जनजातीय समूह के नेताओं ने इंफाल घाटी के विद्रोहियों पर ट्राइबल समुदाय के गांवों पर हमलों की अगुवाई करने का बड़ा आरोप लगाया है। मणिपुर में ताजा हिंसा भड़कने के दो दिन बाद जनजातीय नेताओं के एक बड़े संगठन ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। NDTV की एक खबर के मुताबिक यह बयान गृह मंत्री अमित शाह के राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने और शांति कायम करने के लिए सभी समुदायों से बात करने के लिए राजधानी इंफाल पहुंचने के बाद आया है।
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम या आईटीएलएफ ने एक बयान में आरोप लगाया कि मणिपुर पुलिस के भेष में ‘घाटी के भूमिगत कैडर’ ने उन पर हमला करने से पहले लाइसेंसी और छोटे हथियारों के साथ अपने गांवों की रक्षा करने वाले आदिवासी नागरिकों को निहत्था कर दिया गया था। केंद्र, राज्य और करीब 25 कुकी विद्रोही समूहों के बीच हुए ऑपरेशन के निलंबन (suspension of operation-SoO) समझौते का जिक्र करते हुए आईटीएलएफ ने बयान में आरोप लगाया कि कुकी विद्रोही अपने लिए तय शिविरों में हैं। जिसके कारण गरीब आदिवासी ग्रामीण अपने गांवों की सुरक्षा के लिए केवल मुट्ठी भर सिंगल बैरल बंदूकों और कुछ लाइसेंसी बंदूकों पर ही निर्भर हैं। जो सुरक्षा बलों ने दिए थे। इस तरह उन्हें असहाय या मरने के लिए छोड़ दिया गया।
एसओओ नियमों के तहत विद्रोहियों को सरकार द्वारा तय शिविरों में सीमित रखा जाता है और हथियारों को ताले में रखा जाता है। जिनकी नियमित निगरानी की जाती है। आईटीएलएफ ने कहा कि ‘हम मणिपुर में तत्काल राष्ट्रपति शासन लगाने और एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त करने की भी मांग करते हैं।’ केंद्र सरकार को आदिवासी गांवों की सुरक्षा के लिए और अधिक सेंट्रल फोर्स भी भेजना चाहिए। गौरतलब है कि मणिपुर में 3 मई को उस समय झड़पें शुरू हुईं, जब आदिवासियों ने घाटी के मेइती लोगों की अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में एकजुटता मार्च निकाला था। उस समय हुई हिंसा में 80 से अधिक लोग मारे गए थे। मणिपुर में करीब एक महीने से इंटरनेट सेवा को रोक दिया
गया है।