May 23, 2023


मनाया गया सिक्ख धर्म के 5 वे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी की शहादत का दिवस



बसना । न्यूज डेस्क । इस विषय में जानकारी देते हुए गुरुद्वारा श्री गुरु सिंघ सभा बसना के संरक्षक स लाल सिंघ छाबड़ा ने बताया कि

सिख धर्म में सबसे पहली शहीदी पांचवें सिख गुरु अर्जुन देव जी की हुई। शांति के पुंज, शहीदों के सरताज, अर्जुन देव जी को मुगल बादशाह जहांगीर द्वारा शहीद किया शहीद ही नहीं किया, बल्कि गुरु जी को ऐसी यातनाएं दीं कि सुनकर रूह कांप जाती है। ये यातनाएं अमानवीय थीं। विश्व को ‘सरबत दा भला’ का संदेश देने वाले तथा विश्व में शांति लाने की पहल करने वाले किसी गुरु को यातनाएं देकर शहीद कर देना मुगल साम्राज्य के पतन का भी कारण बना।

गुरु गद्दी संभालने के बाद गुरु अर्जुन देव जी ने लोक भलाई तथा धर्म प्रचार के कामों में तेजी ला दी। आपने गुरु रामदास जी द्वारा शुरू किए गए सांझे निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी। नगर अमृतसर में आपने संतोखसर तथा अमृत सरोवरों का काम मुकम्मल करवा कर अमृत सरोवर के बीच हरिमंदिर साहिब जी का निर्माण कराया, जिसका शिलान्यास मुसलमान फकीर साईं मियां मीर जी से करवा कर धर्मनिरपेक्षता का सबूत दिया और अमृतसर शहर आस्था का केन्द्र बन गया। आप जी ने नए नगर तरनतारन साहिब, करतारपुर साहिब, छेहर्टा साहिब, श्री हरगोबिंदपुरा आदि बसाए। तरनतारन साहिब में एक विशाल सरोवर का निर्माण कराया जिसके एक तरफ तो गुरुद्वारा साहिब और दूसरी तरफ कुष्ठ रोगियों के लिए एक दवाखाना बनवाया। यह दवाखाना आज तक सुचारू रूप से चल रहा है। सामाजिक कार्य के रूप में गांव-गांव में कुंओं का निर्माण कराया। सुखमणि साहिब की भी रचना की जिसका हर गुरसिख प्रतिदिन पाठ करता है।


सिक्ख इतिहास की आगे जानकारी देते हुए गुरुद्वारा श्री गुरु सिंघ सभा बसना के प्रधान स मनजीत सिंघ सलूजा ने बताया कि

गुरु अर्जुन देव जी ने गुरु ग्रंथ साहिब का संपादन भाई गुरदास की सहायता से किया और रागों के आधार पर ग्रंथ साहिब में संकलित बाणियों का जो वर्गीकरण किया है, उसकी मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रंथों में दुर्लभ है। गुरु जी ने सदैव ही अपने सिखों को परमात्मा पर हर समय भरोसा रखने तथा सर्व सांझीवालता का संदेश दिया। मुगल बादशाह अकबर की सम्वत 1662 में हुई मौत के बाद उसका पुत्र जहांगीर बादशाह बना जहांगीर गुरु जी की बढ़ती लोकप्रियता को पसंद नहीं करता था।उसने गुरु जी को शहीद करने का फैसला कर लिया। गुरु अर्जुन देव जी को लाहौर में 1606 ई. को भीषण गर्मी के दौरान ‘यासा व सियास्त’ कानून के तहत लोहे की गर्म तवी पर बिठाकर शहीद कर दिया गया। ‘यासा व सियास्त’ के अनुसार किसी का रक्त धरती पर गिराए बिना उसे यातनाएं देकर शहीद किया जाता है। गुरु जी को गर्म तवे पर बैठा कर तवे के नीचे चूल्हे की आग तेज कर दी गई गुरु जी के शीश पर गर्म-गर्म रेत डाली गई। जब गुरु जी का शरीर अग्नि के कारण बुरी तरह से जल गया तो आप जी को ठंडे पानी वाले रावी दरिया में नहाने के लिए भेजा गया, जहां गुरु जी का पावन शरीर आलोप हो गया। जहां आप ज्योति ज्योत समाए उसी स्थान पर लाहौर में रावी नदी के किनारे गुरुद्वारा डेरा साहिब (जो अब पाकिस्तान में है) का निर्माण किया गया है। 

गुरु अर्जुन देव जी ने लोगों को विनम्र रहने का संदेश दिया। आप विनम्रता के पुंज थे। कभी भी आपने किसी को भी दुर्वचन नहीं बोले। 

गुरु अर्जुन देव जी का संगत को एक और बड़ा संदेश था कि परमेश्वर की रजा में राजी रहना। जब आपको जहांगीर के आदेश पर आग के समान तप रही तवी पर बिठा दिया, उस समय भी आप परमेश्वर का शुक्राना कर रहे थे:

#तेरा_कीया_मीठा_लागै॥ #हरि_नामु_पदार्थ_नानक_मांगै

आज पूरे विश्वभर में सिक्ख आपको ठंडा शरबत छबील लगाकर पिलाते दिख जाएंगे..

बसना के मुख्य चौक में सुबह से सिक्ख समाज बसना के सदस्यो ने आज शहीदी दिवस की मीठी में ठंडा शरबत एवम छोले प्रसाद का वितरण किया 

उपरोक्त जानकारी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बसना के मीत प्रधान स गुरुबक्श सिंह तलुजा ने दी।




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